आगे बढऩे का साल

Last updated - March 03, 2021
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महंगी और असमानता का भाव पैदा करने वाली शिक्षा प्रणाली के विस्तार को रोकने के लिए अदालत से निकली एक माकूल व्यवस्था का असर पडऩा शुरू हो गया है। पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह कहा था कि सरकारी कर्मचारियों को अपने बच्चों को निजी स्कूलों में नहीं भेजना चाहिए, सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाना चाहिए। कोर्ट ने फैसले में यह भी कहा था कि जज भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाएं। कोर्ट के निर्णय से आशय तो यही निकलता है कि देश में सरकारी विद्यालयों की दशा सुधारने के साथ समान शिक्षा प्रणाली को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। शिक्षा के आईने में झांककर देखें तो अस्सी के दश
सुंदर पिच्चई के गूगल के सीईओ बनने के बाद आईटी उद्योग की सबसे बड़ी कंपनियों में से दो के शीर्ष पर भारतीय पहुंच गए हैं। इसके पहले सत्य नाडेला माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ बने। सुंदर पिच्चई ने आईआईटी खडग़पुर से इंजीनियरी की पढ़ाई की है और वह पिछले 11 साल से गूगल में काम कर रहे हैं। गूगल क्रोम और मोबाइल सॉफ्टवेयर एंड्राइड बनाने वाली टीमों का नेतृत्व उन्होंने किया है। दुनिया में आईटी उद्योग में, खासकर अमेरिका की सिलिकॉन वैली में भारतीयों की बड़ी उपलब्धियों की मिसाल सुंदर पिच्चई और सत्य नाडेला हैं, लेकिन भारतीयों की उपलब्धियां इन दोनों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह कहा जा सकता है कि प्रवासी भारतीय या भारती
देश को नगा समझौते का अनूठा उपहार सौंपने के लिए केंद्र सरकार खास कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया। अंग्रेज जाते-जाते हमारे लिए ऐसा पेंच फंसा गए थे जिनमें हम दशकों से उलझे चल रहे थे। इस उलझन का सबसे कारण यह था कि चीन सीमा पर बसे अनूठी संस्कृति और समृद्ध परंपरा के धनी इस नार्थ-ईस्ट राज्य का देश की मुख्य भूमि से संवाद नहीं के बराबर था। हमारे मानस में अंग्रेजों ने नगा समाज की जो अराजक छवि बना दी थी उससे भी उबरने में हमें खासा वक्त लगा है। नार्थ-ईस्ट राज्यों पर कुटिल नजर रखने वाले चीन ने भी इस समस्या को उलझाए रखने में खासा पसीना बहाया है। इस इलाके के बागियों को हथियारों की सप्लाई करने में